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HTML :-

Hyper Text Markup Language (HTML) is the set of markup symbols or codes inserted into a file intended for display on the Internet. The markup tells web browsers how to display a web page's words and images.

First developed by Tim Berners-Lee in 1990, HTML is short for Hypertext Markup Language. HTML is used to create electronic documents (called pages) that are displayed on the World Wide Web. 

HTML code ensures the proper formatting of text and images for your Internet browser.

 Hyper Text Markup Language is used to create Web pages and tells the browser how to display them. It designs the basic layout and formatting of Web pages. HTML is made up of elements or tags and attributes which work together to identify document parts and tell the browser how to display them.

Hyper Text Markup Language (HTML) is a markup language for creating a webpage. 

Best software is Sublinetext

 Webpages are usually viewed in a web browser. They can include writing, links, pictures, and even sound and video. HTML is used to mark and describe each of these kinds of content so the web browser can display them correctly.


एच .टी. एम.एल (Hyper Text Markup Language / HTML) वेब पन्नों और वेब आधारित एप बनाने में इस्तेमाल होने वाली एक मार्कअप भाषा है। वेब ब्राउज़र द्वारा किसी वेबसाइट के पन्ने को खोलने पर उसके वेब सर्वर से एचटीएमएल के रूप में दस्तावेज (डॉक्युमेंट) प्राप्त होता है, जिसे वेब ब्राउज़र मल्टीमीडिया वेब पन्ने में बदल देता है।

हाइपरटेक्स्ट वह तरीका है जिसके द्वारा वेब को Explore किया जाता है. यह एक साधारण टेक्स्ट ही होता है. लेकिन, Hypertext अपने साथ किसी अन्य टेक्स्ट को जोड़े रखता है. जिसे माउस क्लिक, टैप से या कुंजि दबाकर सक्रिय किया जाता है.

इसकी यही विशेषता इसे साधारण टेक्स्ट से अलग करती है. हाइपरटेक्स्ट को हाइपरलिंक कहते है.

HTML के Anchor (< a >) Tags के द्वारा किसी भी टेक्स्ट को हाइपरलिंक बनाया जा सकता है. इसके अलावा, इमेज्स, वीडियो, साउण्ड आदि को भी हाइपरलिंक बनाया जा सकता है. इस प्रकार का लिंक डेटा Hypermedia कहलाता है.

Hypertext की एक और विशेषता होती है कि यह रेखीय (linear) नही होता है अर्थात हाइपरटेक्स्ट को किसी भी क्रम में सक्रिय किया जा सकता है.

Markup
HTML वेब डॉक्युमेंट बनाने के लिए “HTML Tags” का उपयोग करती है. प्रत्येक HTML Tag अपने बीच आने वाले टेक्स्ट को किसी प्रकार में परिभाषित करता है. इसे ही Markup कहते है. “<i>” एक HTML Tag है जो अपने बीच आने वाले टेक्स्ट को तिरछा (italic) करता है.

इसे एक उदाहरण से समझते है.
हम एक शब्द लेते है, ‘BishwasEducation’ जिसे साधारण लिखा गया है. जो हमें आम टेक्स्ट की तरह ही सीधा “BishwasEducation” दिखाई दे रहा है. अब हम इसे HTML के द्वारा Markup करते है. और Markup मे हम इसे तिरछा करते है. जब BishwasEducation को इन दोनो चिन्हों <i> </i> के बीच इस तरह <i>BishwasEducation</i> लिखा जायगा तो यह शब्द इस तरह तिरछा “BishwasEducation” दिखाई देगा. अर्थात इसे तिरछा (italic) Markup किया गया है.

इस पूरी प्रक्रिया को ही मार्क अप करना कहता है. और वेब पर मौजूद सभी वेब डॉक्युमेंट इसी तरह फॉर्मेट किए जाते हैं.

Language
HTML एक भाषा है. क्योंकि यह वेब डॉक्युमेंट बनाने के लिए code-words का इस्तेमाल करती है. जिन्हें Tags कहते है. और इन Tags को लिखने के लिए HTML का syntax भी है. इसलिए यह एक भाषा भी है. नीचे HTML का Syntax दिखाया गया है.

इसके तीन मुख्य भाग होते है. जो क्रमश: Element, Tags और Text है.

HTML Element, HTML Tag से मिलकर बनता है. Angel Bracket के बीच जो शब्द या अक्षर लिखा होता है, इसे HTML Tag कहते है. यह दो प्रकार का होता है. पहला, Opening tag और दूसरा Closing tag. और अंतिम भाग होता है टेक्स्ट जो HTML Tag के बीच लिखा जाता है.

आइए अब हम HTML की दुनिया में थोड़ा पीछे चलते है और इसके इतिहास को जानने कि एक कोशिश करते है.

HTML का विकास 90 के दशक में हुआ था और अभी भी जारी है. क्योंकि HTML एक लगातार विकास करने वाली भाषा है. इसके अब तक कई संस्करण आ चुके है.

यह भाषा माननीय Sir Tim Berners Lee के दिमाग की उपज है. सबसे पहले इन्होने ही HTML का उपयोग किया था.

वर्तमान समय में HTML के विकास का जिम्मा एक संस्था “World Wide Web Consortium (W3C)” के पास है. यह संस्था ही अब HTML का ख्याल रखती है. आइए जानते है अब तक आए HTML के संस्करणों के बारे में.

HTML
यह संस्करण SGML –Standard Generalized Markup Language का रूप था. HTML प्राथमिक संस्करण है.

इसके द्वारा टेक्स्ट को Structure किया जा सकता था. इसके लिए कुछ Tags का निर्माण किया गया था और इस संस्करण का कोई नाम नही था इसे सिर्फ HTML कहा गया. लेकिन HTML के अगले संस्करणो के नाम थे. इसलिए सुविधा के लिए इस संस्करण को HTML 1.0 भी कहा जाता है.

जो HTML Tags इस समय उपयोग में लिये जाते थे, कुछ Tags आज भी मौजूद है. जो हम HTML पर कार्य करते समय काम में लेते है.

HTML 2.0
HTML के प्राथमिक संस्करण के बाद एक समूह IETF – Internet Engineering Task Force द्वारा HTML के अगले संस्करण का नामकरण किया गया. यह HTML 2.0 संस्करण कहलाया जिसे 1995 में प्रकाशित किया गया था.

इस संस्करण में कुछ नयी विशेषताएँ जोड़ी गई जिसमें ‘Image Tag‘ सबसे महत्वपूर्ण था. लेकिन अभी Internet ज्यादा लोकप्रिय नही हुआ था.

HTML 3.0
इस समय तक HTML और इंटरनेट अपनी छाप छोड चुके थे और दोनो लोकप्रिय होने लगे थे. अब पहल से ज्यादा लोग इससे जुड चुके थे. अधिक से अधिक लोग HTML सीखना चाहते थे और Internet से जुडना भी चाहते थे.

इसलिए HTML के अधिक उपयोग के कारण इसमे कुछ उलझने पैदा हो गई थी. जो Standard इसमें तय किया था लोग उसमें परिवर्तन करने लगे थे. जिससे इसकी एकरूपता समाप्त होने लगी थी. इसलिए HTML का अगला संस्करण तैयार किया गया जो HTML 3.0 था. लेकिन इसे कभी भी प्रकाशित नही किया गया.

HTML 3.2
HTML 1.0 के प्रकाशन और HTML 3.0 की सिफारिश तक एक संगठन का उद्भव हो चुका था, जो HTML भाषा के लिए कार्य करने के लिए बना है. इसे W3C – World Wide Web Consortium के नाम से जाना जाता है.

W3C के द्वारा 1997 में HTML 3.0 की सिफारिशों के साथ HTML का अगला संस्करण HTML 3.2 का प्रकाशन किया गया. इसमें HTML के दोनों संस्करणों से ज्यादा विशेषता थी.

HTML 3.2 के द्वारा अब HTML Document को और अधिक तरीके से बनाया जा सकता था. इस संस्करण में कई नये ‘Attribute’ को जोडा गया जो डॉक्युमेंट के structure से ज्यादा उसकि ‘style’ के लिए थे. लेकिन, इस समय तक HTML को पढ़ने वाले यानि ‘ Browsers ‘ बहुत धीमें थे. ये अभी भी HTML 3.2 के सभी विशेषताओं को सपोर्ट नही करते थे.

HTML 4.0
अब Internet काफि लोकप्रिय हो चुका था. अधिक से अधिक लोग HTML सीखना चाहते थे. और जो पहले से ही इससे जुड़े थे. वे HTML से ज्यादा चाहने लगे. इसलिए इस रिक्त स्थान को भरने करने के लिए HTML का अगला संस्करण HTML 4.0 का प्रकाशन किया गया.

और अब तक ‘Style Sheet’ भी अपना स्थान बनाने लगी थी. इसलिए इस संस्करण में कुछ और विशेषताएं जैसे; frame, script, stylesheet आदि को जोडा गया. और इसे पढने वाले ब्राउजर भी अब कुछ एडवांस हो चुके थे. तथा HTML के अधिकतर विशेषताओं को पढ सकते थे. यह HTML के इतिहास में एक बड़ा बदलाव था.

HTML 4.01
HTML का अगला संस्करण HTML 4.01 था जो HTML 4.0 का संशोधित संस्करण है. इसे W3C द्वारा 1999 में प्रकाशित किया गया था. आज लगभग वेबसाइट इसी संस्करण में बनी हुई है.

HTML 5
HTML का सबसे नवीनतम संस्करण HTML 5 है. इसमे HTML 4.01 कि विशेषताओं के अलावा XML कि विशेषताओं को भी जोडा गया है. यह संस्करण धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रहा है. और काफि लोकप्रिय हो चुका है.

HTML का उपयोग कहाँ और कैसे किया जाता है?
HTML का उपयोग कहाँ किया जाता है?

यह एक साधारण और बेतुका सवाल लग सकता है. मगर, इसे गहराई से सोचने पर इसकी असलियत का पता चलता है.

आप पहले ही जान चुके है कि एचटीएमएल का उपयोग वेब डॉक्युमेंट बनाने के लिए किया जाता है. मगर, यह सिर्फ वेब डॉक्युमेंट बनाने तक सीमित नहीं है.

क्योंकि HTML वेब का आधार है. इसके बिना वेब का निर्माण की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

HTML Document बनाने के अलावा इसका उपयोग यहाँ भी खूब किया जाता है.

Web Page Development
Navigation
Game Development
Responsive Graphics
Web Document Formatting

हमने ये तो जान लिया है कि HTML का उपयोग (HTML Uses in Hindi) कहाँ किया जाता है.

आइए, अब जानते है इसे कैसे इस्तेमाल करते है. अर्थात HTML से वेबपेज (वेब डॉक्युमेंट) कैसे बनाते है?

एचटीएमएल से वेबपेज बनाना बहुत ही आसान है. इसे हम एक उदाहरण से समझते है.

निर्देश:-

नीचे जो HTML Code दिया गया है. उसे हू-ब-हू कॉपी कीजिए.
फिर इस कोड को किसी टेक्स्ट एडिटर प्रोग्राम (नोटपेड) में पेस्ट कर दीजिए.
इसके बाद इस फाइल को .html फाइल एक्सटेंशन लगाकर सेव कर दीजिए.
सेव करने के बाद इस फाइल को किसी भी ब्राउजर में ओपन करें.
आपका वेबपेज तैयार हो गया है.
HTML Example:

 <!DOCTYPE HTML>
<HTML>
<HEADER>
<TITLE>My First HTML Document</TITLE>
</HEADER>
<BODY>
<H1>Welcome To BishwasEducation</H1>
<P>This is first paragraph of this document.</P>
<P>This is second paragraph of this document. You can add as many paragraphs as possible like this.</P>
</BODY>
</HTML> 


HTML कैसे सीखें 
इस वेब प्रोग्रामिंग भाषा HTML को सीखना बहुत ही आसान है. आप कुछ ही घंटों की ट्रैनिंग से अपना खुद का वेब डॉक्युमेंट बनाने में कामयाब हो जाते है.

नीचे हम एचटीएमएल सीखने के अलग-अलग तरीके बता रहे है. जिनके द्वारा आप खुद घर बैठे HTML सीख सकेंगे.

ऑनलाइन सीखें
वेब डिजाइनिंग कोर्स जॉइन करें
किताबें खरिदें
ऑफलाइन ट्युटोरिंग लें
यूट्यूब से सीखें

(1) ऑनलाइन सीखें -

आजकल डिजिटल शिक्षा का बोलबाला है. इसलिए, आप अपने हिसाब से किसी ऑनलाइन सोर्स से Free HTML Training लें सकते है.

इंटरनेट पर सैकड़ों साइट मौजूद है. जो एचटीएचएल की फ्री ट्रैनिंग दे रहें है. नीचे कुछ लोकप्रिय वेब पोर्टल का नाम दिया जा रहा है. जहाँ से आप फ्री में एचटीएमएल सीख सकते हैं.

W3Schools.com
TutorialsPoint.com
TutorialPandit.com
Html.com
Htmldog.com
Codecademy.com
Learn-html.org
Javatpoint.com
Tutorialrepublic.com
Udemy.com

(2) वेब डिजाइनिंग कोर्स जॉइन करें -

यदि आप ऑनलाइन नही सीख सकते है. और आपको परंपरागत शिक्षा प्रणाली ही अच्छी लगती है. तो आप किसी भी नजदीकि इंस्टीट्युट में जाकर वेब डिजाइनिंग कोर्स में एडमिशन लें सकते है.

इस कोर्स में आपको HTML के साथ अन्य वेब तकनिकों जैसे सीएसएस एवं जावा स्क्रिप्ट की ट्रैनिंग भी साथ में उपलब्ध करवाई जाती है.

इसलिए, आप अपने बजट और इंस्टीट्युट की साख को मद्दे नजर रखते हुए. उसका चयन करें और एडमिशन लेकर ट्रैनिंग शुरु करें.

इस ट्रैनिंग के दौरान आपको लाइव प्रोजेक्ट्स पर काम करने का अनुभव मिलता है और पढ़ाई पूरी होने के बाद सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. जो आपकी योग्यता को साबित करने के लिए एक अनिवार्य दस्तावेज होता है.   

(3) किताबें खरिदें -

किसी भी स्किल को सीखने का आधार किताबें होती है. इनके द्वारा हम लेखक से आभासी रूप में जुड़े रहते है. और उनके ज्ञान का सीधा लाभ लेते है.

इसलिए, आप सेल्फ लर्निंग और सैध्दातिंक ज्ञान के लिए Best HTML Books बाजार से खरीदकर खुद उदाहरणों के जरिए सीखना शुरु करें.

हमें पूरा विश्वास है. यदि आप किताब में दिए गए निर्देशों का पालन यथावत करते है तो आप 100% वेबपेज बनाना सीख लेंगे.

(4) ऑफलाइन ट्युटोरिंग लें -

वैसे यह भी कोर्स जॉइन करने के जैसा ही है. मगर, फर्क बस इतना है कि यहाँ आप को कोर्स वगैरह में एडमिशन नही लेते है. केवल, पड़ोस के HTML Master से ट्रैनिंग लेते है.

इस ट्रैनिंग का फायदा किसी इंस्टीट्युट ट्रैनिंग से ज्यादा मिलता है. क्योंकि आप सीखने वाले केवल आप होते है. और आपको काम करने का अनुभव भी मिलता है.

क्योंकि, इस तरह की ट्युटोरिंग देने वाले अधिकतर ट्युटर फ्रीलांसर होते है. और फ्रीलांसिंग करके अपना गुजारा चलाते है. इसलिए, इनके पास कई-कई प्रोजेक्ट्स होते है.

(5) यूट्यूब से सीखें -

आजकल यूट्यूब सीखने का नया प्लैटफॉर्म उभर रहा है. खासकर भारत देश में तो इसका क्रेज कुछ ज्यादा ही दिखाई पड़ता है.

चुंकि, यूट्यूब की पढ़ाई मुफ्त है. इसलिए, स्टुडेंट्स इसे प्राथमिकता देते है.

मगर, यूट्यूब पर उपलब्ध HTML Videos को हम क्वालिटी के लिहाज से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मान सकते है. और ना ही विश्वसनीय सोर्स से इस प्रकार से वीडियो बनाए जाते है. इसलिए, यूट्यूब लर्निंग को हमेशा शक की दृष्टि से देखा जाता है. और इसे कम विश्वसनीय मानते है. बाकि फैंसला आपको करना है.

Features of HTML

It is easy to learn and easy to use.
It is platform-independent.
Images, videos, and audio can be added to a web page.
Hypertext can be added to text.
It is a markup language.

Advantages 

HTML is widely used.
Every browser supports HTML Language.
Easy to learn and use.
HTML is light weighted and fast to load.
Do not get to purchase any extra software because it's by default in every window.
Easy to use.
Loose syntax (although, being too flexible won't suit standards).
HTML is easy enough to write
HTML is that it is easy to code even for novice programmers.
HTML also allows the utilization of templates, which makes designing a webpage easy.
Very useful for beginners in the web designing field.
HTML can be supported to each and every browser, if not supported to all the browsers.
HTML is built on almost every website, if not all websites.
HTML is increasingly used for data storage as like XML syntax.
Free – You need not buy any software.
HTML is present in every window by default so you not need to buy the software which cost too much.


Disadvantages 

It cannot produce dynamic output alone, since it’s a static language.
Making the structure of HTML documents becomes tough to understand.
Errors can be costly.
It is the time consuming as the time it consume to maintain on the color scheme of a page and to make lists, tables and forms.
It can create only static and plain pages so if we’d like dynamic pages then HTML isn’t useful.
Required to write a lot of code for just creating a simple webpage.
We have to check up the deprecated tags and confirm not to use them to appear because another language that works with HTML has replaced the first work of the tag, and hence the opposite language needs to be understood and learned.
Security features offered by HTML are limited.
If we need to write down long code for creating a webpage then it produces some complexity.
HTML can create only static and plain pages so if we’d like dynamic pages then HTML isn’t useful




 CSS :-

CSS का पूरा नाम है cascading style sheet एक webpage को बनाने के तकनीक के पीछे HTML और CSS का बहुत बड़ा हाथ है. HTML के इस्तेमाल से webpage को एक आकार मिलता है और CSS के इस्तेमाल से webpage को एक नया और आकर्षक रूप मिलता है. HTML और CSS हमेसा साथ में ही इस्तेमाल किये जाते हैं. CSS के बिना हम html का इस्तेमाल कर सकते हैं मगर html के बिना css का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
HTML और CSS एक computer language है जो की बहुत सरल है और जिसे आसानी से सिखा जा सकता है. html और css के code को लिखने के लिए हमे एक text editor की जरुरत होती है जैसे की Notepad. इन codes को लिख लेने के बाद इसे internet के द्वारा देखने के लिए एक web browser की जरुरत होती है.

HTML में बहुत से tag का इस्तेमाल किया जाता है जैसे header tag <h1>, font tag <font>, table tag <table>, image tag <img> etc. इन सभी tags को browser में और भी अच्छी तरह से दिखाने के लिए css का साथ में इस्तेमाल किया जाता है.

CSS के इस्तेमाल से हम webpage के text को अच्छे रंग में दिखा सकते हैं, fonts के styles और paragraph के बिच के space को control कर सकते हैं, background के images को और background में कौनसे रंग के इस्तेमाल से webpage को अच्छा look मिलेगा ये सभी चीजों को set करने के लिए css का इस्तेमाल किया जाता है. css html के document पूरी तरह से नया रूप दे देता है जिससे users ज्यादा आकर्षित होते हैं.
 

CSS के फायेदे

(1) CSS वक़्त बचाता है– एक html के webpage में use किये गए style को हम दुसरे बहुत सारे web page में इस्तेमाल कर सकते हैं वो भी css के code को सिर्फ एक बार लिख कर. हमे अलग अलग web page को बनाने के लिए बार बार css का code लिखना नहीं पड़ेगा. और सिर्फ एक ही बार लिखे हुए css code का हम इस्तेमाल करके जितने चाहे उतने web pages बना सकते हैं, जिसमे हमारा काफी वक़्त बच जाता है.

(2) Page को जल्दी load होने में मदद करता है– अगर हम css का इस्तेमाल करते हैं तो हमे html के tag के attributes को बार बार लिखने की जरुरत नहीं पड़ती. बस एक बार css के rule के हिसाब से tag के attributes को लिख कर web page में apply कर देने से वो tag हर जगह सही रूप से दिखने लगेगा. इसलिए tag को web page में अलग अलग जगह पर दिखने के लिए बार बार एक ही code को लिखना नहीं पड़ेगा, और कम code होंगे तो web page browser में जल्दी load होगा.

(3) Maintain करने में आसान– web page के style को पूरी तरह बदलने के लिए बस एक बार css के style के code को बदलने से html में use हुए सभी elements अपने आप ही एक साथ बदल जायेंगे और एक एक करके सभी elements को बदलने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

(4) Platform independent है– platform independent का मतलब है की css का इस्तेमाल हम किसी भी platform में कर सकते हैं जैसे windows, linux, macintosh etc. और ये सभी latest browser को भी support करता है.


Javascript :-

  इसे हम आसान शब्दों में समझने के लिए ये कह सकते हैं की JavaScript एक मुख्य programming language नहीं होता है बल्कि यह एक Scripting Language होता है. इसका इस्तमाल मुख्य रूप से Browsers में होता है और इसे HTML या CSS के साथ ही इस्तमाल किया जाता है. इसके बहुत सी खूबियाँ है जिसे की हम आगे article में जानेंगे.

अक्सर लोगों को JavaScript और Java के बीच का अंतर पता नहीं होता है और वो दोनों को समान सोचने लगते हैं. वैसे ऐसा बिलकुल भी नहीं होता है. ये दोनों ही language बिलकुल ही भिन्न होते हैं.

इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आपको लोगों को जावास्क्रिप्ट की जानकारी और इसके क्या advantages होते हैं इस्तमाल करने के, विषय में आपको पूर्ण रूप से जानकारी प्रदान की जाये जिससे आपके मन में और कोई दुविधा उत्पन्न नहीं होगी. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं जावास्क्रिप्ट के बारे में हिंदी में.

JavaScript एक बहुत ही commonly used client side scripting language होती है. या हम कह सकते हैं इसे सभी major web browsers में इस्तमाल किया जाता है.

इसमें सबसे बड़ी library ecosystem होती है किसी भी programming language की. चूँकि यह एक scripting language होता है इसलिए इसके code को एक HTML page में भी लिखा जा सकता है.

तो जब एक user requests करता है HTML page में, जिसमें की एक JavaScript present होती है, तब ये script को browser तक भेजा जाता है और ये browser पर ही निर्भर करता है की वो इसके सह क्या करना चाहती है.

वैसे देखा जाये टी JavaScript की कोई भी relation नहीं होती है Java के साथ. बस इसके नाम में Java का इस्तमाल होने के कारण JavaScript को कहा जाता है : The World’s Most Misunderstood Programming Language (दुनिया की सबसे गलत समझी जाने वाली language)

JavaScript Official Name है ECMAScript defined under Standard ECMA-262.

JavaScript के Frameworks क्या हैं?

जिन Frameworks को Most frequently इस्तमाल किया जाता है वो हैं React JS, Angular JS, Create JS, jQuery, nodeJS इत्यादि.

जावास्क्रिप्ट का परिचय

JavaScript उन 3 Languages में से एक Language होता है जिसे की सभी web developers को जरुर से सीखना चाहिए, चलिए उन तीनों languages के विषय में भी जानते हैं.

1. HTML इसका इस्तमाल Web Pages के content को define करने के लिए किया जाता है.

2. CSS इसका इस्तमाल Web Pages का Layout को specify करने के लिए किया जाता है.

3. JavaScript इसका इस्तमाल Web Pages के Behavior को program करने के लिए किया जाता है.

केवल Web pages ही वो एकमात्र जगह नहीं होती जहाँ की JavaScript का इस्तमाल होता है. बहुत से desktop और server programs में भी JavaScript का उपयोग होता है.

Node.js ऐसा की एक Program होता है. कुछ databases, जैसे की MongoDB और CouchDB, में JavaScript को एक उनके programming language के हिसाब से इस्तमाल किया जाता है.

जावा और जावास्क्रिप्ट में अंतर

अक्सर लोगों को यही लगता है की जावा और जावास्क्रिप्ट के बीच का अंतर समान ही हैं. लेकिन असल में ऐसा कुछ भी नहीं है. तो चलिए इन दोनों के बीच के अंतर के विषय में जानते हैं.

JavaScript बिलकुल भी Java के समान नहीं है. मैं आपको और एक बार बताना चाहता हूँ की JavaScript और Java दोनों अलग अलग हैं.

वैसे इन दोनों के नाम बहुत ही मिलते झूलते जरुर हैं, जो की एक doubt create करते हैं लोगों के मन में. जहाँ इस language को primarily एक scripting language के तोर पर इस्तमाल किया जाता है HTML pages में, वहीँ Java एक real programming language होता है जो की पूरी तरह से दुसरे काम में इस्तमाल किया जाता है.

वहीँ Java को सीखना थोडा कठिन हो सकता है. इसे Sun Microsystem के द्वारा develop किया गया इस्तमाल के लिए उन सभी चीज़ों में जहाँ की computing power की जरूरत थी.

JavaScript को develop किया था Brendan Eich ने, जो की उस समय में Netscape में काम किया करते था, उन्होंने इसे एक client side scripting language के तोर पर develop किया था (वैसे ऐसा कुछ fundamental reason नहीं है की क्यूँ इसे एक server side environment में इस्तमाल नहीं किया जा सकता है).

Originally इस language का नाम था Live Script, लेकिन जब इसे release किया जाने वाला था, तब Java बहुत ही popular हो चूका था. इसलिए last possible moment में ही Netscape ने इसका नाम बदलकर “JavaScript” रख दिया.

Java और JavaScript दोनों ही वंसज हैं C और C++ के, लेकिन ये languages अपने पूर्वजों से बिलकुल ही अलग काम करते हैं. दोनों ही languages object oriented होती हाँ और वो कुछ समान syntax भी share करते हैं. लकिन इसमें differences ज्यादा होती हैं similarities की तुलना में.

JavaScript को कैसे Enable करे

अभी तो प्राय सभी web pages में JavaScript होता है, ये एक scripting programming language होता है जो की visitor के web browser में run करता है.

ये web pages को functional बनाता है specific purposes के लिए, वहीँ अगर ये disable हो गया कुछ कारणों के लिए तब, Web Page की content या उसकी functionality भी limited या unavailable हो जाती है.

तो चलिए जानते हैं की अलग अलग browsers में JavaScript को enable कैसे करें : –

Google Chrome में

1.  आपके web browser की menu में click करें “Customize and control Google Chrome” में और select करें “Settings“.

2.  वहीँ “Settings” section में click करें “Show advanced settings…” पर.

3.  वहीँ “Privacy” के निचे click करें “Content settings.” में.

4.  जब dialog window open होता है, आपको देखना होगा “JavaScript” section को और select करना होगा “Allow all sites to run JavaScript (recommended)” में.

5.  फिर Click करें “OK” button को इसे close करने के लिए.

6.  उसके बाद Close करें “Settings” tab.

7.  Click करें “Reload this page” button पर आपके web browser में जिससे page refresh हो जायेगा.

Internet Explorer में

1.  Web browser menu पर click करें “Tools” icon पर और select करें “Internet Options” को.

2.  वहीँ “Internet Options” window पर select करें “Security” tab पर.

3.  वहीँ “Security” tab पर click करें “Custom level” button पर.

4.  जब “Security Settings – Internet Zone” की dialog window open होती है, आपको “Scripting” section पर जाना होगा.

5.  इसमें “Active Scripting” item में select करें “Enable“.

6.  ऐसा करने से आपके सामने एक “Warning!” window pops out होगी जिसमें ये पूछा जायेगा की “क्या आप sure हैं की ये setting आप change करना चाहते हैं इस zone के लिए?” select करें “Yes“.

7.  वहीँ “Internet Options” window पर click करें “OK” button पर उसे close करने के लिए.
8.  फिर Click करें “Refresh” button पर web browser के जिससे page फिर से refresh हो जायेगा.

Mozilla Firefox में

1.  इसके address bar में, type करें about:config और press करें Enter.

2.  Click करें “I’ll be careful, I promise” पर अगर कोई warning message आपके सामने appear हो तब.

3.  वहीँ search box पर, search करें javascript.enabled

4.  फिर Toggle करें “javascript.enabled” preference (right-click करें और select “Toggle” या double-click करें उस preference को) को जिसे आप इसकी value को change कर सकते हैं “false” से “true”.

5.  Click करें “Reload current page” button पर web browser के जिससे page को आप refresh कर सकते हैं.

Opera में

1.  Click करें Opera icon “Menu” और फिर “Settings”.

2.  Click करें “Websites” और फिर choose करें “Allow all sites to run JavaScript (recommended)”

3.  Click करें “Reload” button पर web browser के उस page को refresh करने के लिए.

Apple Safari में

1.  अपने web browser menu में click करें “Edit” पर और select करें “Preferences“.

2.  वहीँ “Preferences” window पर select करें “Security” tab पर.

3.  इसके बाद “Security” tab section के “Web content” पर mark करें “Enable JavaScript” checkbox को.

4.  Click करें “Reload the current page” button को web browser के जिससे आप page को refresh कर सकते हैं.

JavaScript Language क्या है?

JavaScript एक programming language ही नहीं है अगर हम strict sense में बात करें तब. बल्कि यह एक scripting language होता है क्यूंकि ये browser को instruct करता है background के सभी dirty work को करने के लिए.

अगर आप command करें एक image को दुसरे से replace करने के लिए, JavaScript browser को कहता है ऐसा करने के लिए. क्यूंकि असल में सभी काम browser ही करता है, आपको सिर्फ कुछ codes लिखने होते हैं इस scripting language में जिससे की browser आपके सभी काम कर सके.

ख़ास इसलिए ही JavaScript एक बहुत ही आसान language होता है beginners के लिए.

JavaScript के Advantages और Disadvantages

दुसरे computer languages के ही तरह, JavaScript की भी कुछ advantages और disadvantages हैं. जहाँ पहले इसे केवल कुछ कार्यों के करने तक ही limit कर दिया जाता था वहीँ आजकल इसे बहुत से कार्यों में उपयोग किया जाता है.

 जावास्क्रिप्ट के फायदे

1.  Speed. Client-side JavaScript बहुत ही fast होती है क्यूंकि ये immediately run करती है client-side browser में. जब तक outside resources की जरुरत हो, JavaScript बिलकुल ही unhindered रहती है network calls से एक backend server में.

इसे client side में compiled होने की कोई भी जरुरत नहीं है जिससे की इसे कुछ speed advantages मिलते हैं.

2.  Simplicity. JavaScript बहुत ही simple होती है सीखने के लिए और साथ में implement करने के लिए भी.

3.  Popularity. JavaScript को पुरे web में इस्तमाल किया जाता है. साथ में इसे सीखने के लिए भी internet पर बहुत से resources मेह्जुद हैं. StackOverflow और GitHub ऐसे दो बड़े websites हैं जहाँ से आप Javascript के विषय में सबकुछ जान सकते हैं.

4.  Interoperability. JavaScript बड़ी आसानी से दुसरे languages के साथ compatible होती है, साथ में इसे बहुत से applications में इस्तमाल भी किया जाता है. PHP और SSI scripts के विपरीत, JavaScript को आसानी से किसी भी web page में insert किया जा सकता है.

JavaScript का इस्तमाल दुसरे scripts के भीतर भी किया जा सकता है जिन्हें की अलग languages जैसे की Perl और PHP में लिखा गया है.

5.  Server Load. ये client-side में इस्तमाल होने के कारण, website server में इसकी demand कम हो जाती है.

6.  Rich interfaces. Drag, या drop components या फिर slider के होने से ये आपके website को एक rich interface प्रदान करती है.

7.  Versatility. अभी तो JavaScript को बहुत सारे servers में भी इस्तमाल किया जाने लगा है. JavaScript को front-end में clients server में इस्तमाल किया जाता है, साथ ही अभी तो एक पूरा entire JavaScript app भी बनाया जा सकता है front से लेकर back तक केवल JavaScript के मदद से.

जावास्क्रिप्ट के नुकसान

1. Client-Side Security. चूँकि ये code execute होता है users के computer से, इसलिए कुछ cases में इसे exploit भी किया जा सकता है malicious purposes के लिए. यही वो एक मुख्य कारण है जिसके लिए कुछ लोग Javascript को disable करना ज्यादा पसंद करते हैं.

2.Browser Support. JavaScript को कभी कबार अलग अलग browsers में differently interpret किया जाता है. जहाँ की server-side scripts हमेशा एक ही प्रकार का output produce करती है, वहीँ client-side scripts की output थोड़ी बहुत unpredictable होती है.

वैसे ये कोई बड़ी समस्या नहीं है क्यूंकि जब तक बड़े और popular browsers में ये सही तरीके से काम कर रहे हों, तब तक सब safe होता है.

आज के समय की जावास्क्रिप्ट

अभी के समय की बात करूँ तब ये Script सभी जगहों में मेह्जुद हैं – ये सबसे commonly used client-side scripting language होता है. JavaScript को लिखा जाता है HTML documents में और ये enable करता है interactions दुसरे web pages के साथ बहुत ही unique ways में.

उदाहरण के लिए, ये केवल JavaScript के कारण ही हूँ automatically schedule कर सकते हैं appointments और online games play कर सकते हैं. इसके अलावा, new developments, जैसे की Node.js, allow करता है इसका इस्तमाल server-side में वहीँ APIs, जैसे की HTML5, allow करता है control करना user media और दुसरे device features को.





                                                      


                   

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